आंगनबाड़ी सेविकाओं को विभागीय अधिकारियों के द्वारा मनमाना तरीके से पद मुक्त कर दिया जाता है और आंगनबाड़ी सेविकाओं की कोई भी नहीं सुनता है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को अंत में न्यायालय में शरण लेनी पड़ती है।
आंगनबाड़ी सेविका को मिले 2 लाख का मुआवजा हाई कोर्ट का आदेश –
बिहार में आंगनबाड़ी सेविका की बहाली में गड़बड़ी को लेकर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए आंगनबाड़ी सेविका को₹ 2 लाख का मुआवजा राज्य सरकार को देने का आदेश दिया है।
पटना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को इस मामले में गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों को चिन्हित करके उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का आदेश दिया है तथा राज्य सरकार को 3 महीने के भीतर आंगनबाड़ी सेविका को ₹200000 मुआवजा देने का आदेश दिया है।
गया जिले के बरमा गांव के निवासी रानी कुमार आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के द्वारा दायर याचिका की सुनवाई करने के बाद पटना हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया है।
याचिका दायर करने वाली रानी कुमार आंगनबाड़ी सेविका की ओर से उनके वकील रोहित सिंह ने कोर्ट को बताया कि वार्ड नंबर 6 में आंगनबाड़ी सेविका नियुक्त थी।
लेकिन 9 महीने तक विभागीय काम करने के बावजूद आंगनबाड़ी सेविका को अधिकारियों के द्वारा मनमाने तरीके से पद मुक्त कर दिया गया जबकि आंगनबाड़ी सेविका की कोई गलती नहीं थी ।
इसके बाद अधिकारियों के द्वारा वार्ड नंबर 6 के लिए विज्ञापन भी जारी कर दिया गया और उस जगह पर किसी दूसरे को आंगनबाड़ी सेविका नियुक्त कर दिया गया।
राज्य सरकार की ओर से उनके वकील ने यह दलील दी की इसमें अधिकारियो की गलती है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों की गलती के कारण आवेदिका रानी कुमारी को मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी इसलिए आंगनबाड़ी सेविका मुआवजे की हकदार है।
हाई कोर्ट ने इसी बात को मद्देनजर रखते हुए राज्य सरकार को 2 लाख का मुआवजा आंगनबाड़ी सेविका को देने का आदेश दिया है।