18 वीं लोक सभा सत्र का प्रारंभ हो गया है और इसी के साथ केंद्रीय बजट 2024 – 25 के लिए बजट पूर्व चर्चा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन से भारतीय मजदूर संघ (BMS), राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) – संबद्ध ट्रेड यूनियन, सीटू ट्रेड यूनियन को-आर्डिनेशन सेंटर (TUCC) ने वार्ता की। इस वार्ता में वित्त मंत्री के समक्ष आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को श्रमिक श्रेणी में लाने का प्रस्ताव रखा गया। आइए आपको आगे बताते हैं कि इस वार्ता में और कौन-कौन सी बातें संघ के द्वारा रखी गई।
आंगनवाड़ी,आशा, मिड-डे मील वर्कर जैसे स्कीम वर्कर दुर्भाग्य से वर्कर ( श्रमिक ) के रूप में पहचाने नहीं जाते हैं और उनमें से अधिकांश महिलाएँ है इसलिए एक शसक्त महिला होने के नाते निश्चित रूप से आप उनकी पीड़ा को समझती होंगी। इसलिए आपसे विनम्रतापूर्वक अनुरोध है कि इन स्कीम वर्करों को वर्कर की परिभाषा के अंतर्गत लाने पर विचार करें और उन्हें अन्य वर्करों की भाती प्राप्त सामाजिक सुरक्षा कवरेज प्रदान करें।
हमारे देश में बड़ी संख्या में Anganwadi और आशा की महिलाएँ बिना किसी सामाजिक सुरक्षा के सहायक के रूप में काम करती हैं,क्योंकि वर्कर की मौजूदा परिभाषा उन्हें वर्कर के रूप में मान्यता नहीं देती है। इसलिए TUCC यह मांग करती है कि उन्हें वर्कर का दर्जा दिया जाना चाहिए और उन्हें सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया जाना चाहिए।
उपर्युक्त वर्णित आंगनबाड़ी और आशा वर्करों को सामाजिक सुरक्षा कवरेज का लाभ देते हुए उनको श्रमिक श्रेणी के दायरे में लाकर न्यूनतम मजदूरी तय करनी चाहिए।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन से वार्ता के दौरान ट्रेड यूनियनों ने सरकार से आयकर छूट सीमा बढ़ाने तथा रोजगार गारंटी योजना मनरेगा में प्रति परिवार दिए जाने वाले काम को दोगुना करने और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा कवरेज में लाने का काम करना चाहिए
वार्ता के दौरान बीएमएस के अखिल भारतीय संगठन सचिव बी सुरेंद्रन ने वित्त मंत्री से कहा की उन्हें असंगठित क्षेत्र के सभी 93% से अधिक श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा कवरेज के दायरे में लाने का काम करना चाहिए जिससे सभी वर्गों का उत्थान हो सके।
यूनियनों के द्वारा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ हुई वार्ता में 8वें वेतन आयोग के गठन और पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली की भी मांग की। और आशा भी यही है कि जल्द ही सरकार के द्वारा इस पर कोई गंभीर फैसला लिया जाएगा।
सीटू के महासचिव तपन सेन बताया कि गत वर्ष वित्त मंत्री ने आमने-सामने बैठक करने से इनकार कर दिया था। वर्चुअल माध्यम से वार्ता करने के लिए प्रत्येक यूनियन को 5 मिनट का समय दिया गया था। इसलिए हमने वर्चुअल बैठक का बहिष्कार किया था किंतु इस साल मंत्री जी ने सीधे हमसे आमने सामने लगभग ढाई घंटे वार्ता की है और हमारे मुद्दों को गंभीरता से सुनते हुए उनपर संज्ञान लेने का आश्वाशन भी दिया।
तो इन सभी बातों को रखते हुए यूनियन ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा कार्यकर्ताओं को श्रमिक श्रेणी में लाने का प्रस्ताव रखा और इनको अन्य वर्करों की भांति प्राप्त सामाजिक सुरक्षा कवरेज प्रदान करने सहित न्यूनतम मजदूरी देने का प्रस्ताव रखा।